धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
गंगा जटा में तुम्हारी, हम प्यासे यहाँ ॥
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त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
अर्थ- हे प्रभू आपने तुरंत तरकासुर को मारने के लिए षडानन (भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय) को भेजा। आपने shiv chalisa in hindi ही जलंधर (श्रीमददेवी भागवत् पुराण के अनुसार भगवान शिव के तेज से ही जलंधर पैदा हुआ था) नामक असुर का संहार किया। आपके कल्याणकारी यश को पूरा संसार जानता है।
तेरी खोज में, ना जाने, कितने युग मेरे बीते,
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत shiv chalisa lyricsl सदाहीं॥